थानाध्यक्ष की मानवता : बेहोश मरीज का स्ट्रेचर खिंच पहुंचाया इमेरजेंसी वार्ड हाथ तक लगाने नहीं आये स्वास्थ्य कर्मी

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बिहारशरीफ : सदर अस्पताल में लापरवाही का आलम थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को फिर इमरजेंसी के पास एक ऐसी ही लापरवाही सामने आयी। जब थानाध्यक्ष के बुलाने पर भी स्वास्थ्यकर्मी मदद के लिए आगे नहीं आए। नतीजतन थानाध्यक्ष ने खुद ही स्ट्रेचर खींचकर बेहोश युवक को इमरजेंसी वार्ड पहुंचाया। रामचंद्रपुर बस स्टैंड में बेहोशी की हालत में युवक गिरा था। इसकी सूचना मिलते ही मौके पर लहेरी थानाध्यक्ष पहुंचे। वहां अपने वाहन से अस्पताल लेकर आए। यहां आने पर उन्हें खुद ही स्ट्रेचर खींचना पड़ा। हद तो यह कि वहां उस समय काफी भीड़ थी। सुरक्षा गार्ड या वार्ड ब्वॉय किसी ने सहायता करना भी मुनासिब नहीं समझा। दिन के 11 बजे मॉडल अस्पताल का जब यह हाल है, तो रात में भगवान भरोसे ही वहां की सारी व्यवस्थाएं रहती होंगी। इस कारण ही कभी इमरजेंसी जैसे संवेदनशील वार्ड में भर्ती रोगी की झाड़-फूंक, तो कभी बेड से नीचे गिरे रोगी तक को उठाना लोग मुनासिब नहीं समझते हैं। 

थानाध्यक्ष रंजीत कुमार रजक ने बताया कि बेहोश युवक को लेकर जब वे 11 बजे सदर अस्पताल पहुंचे, तो वहां वाहन से उतारने वाला भी कोई नहीं था। अंदर बैठे कर्मियों को उन्होंने कई बार आवाज दी। लेकिन, कोई वाहन के पास नहीं आया। युवक की बिगड़ती हालत को देखते हुए वहां लगे स्ट्रेचर पर जवानों की मदद से रोगी को लिटाकर इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया। हालांकि, युवक की पहचान अभी नहीं हो सकी है। सोहसराय के सुधीर कुमार, रजत कुमार, आशानगर के मो. राजू, रहुई की गीता देवी व अन्य ने बताया कि यहां तैनात गार्ड रुपए के लिए परिसर में टहलते रहते हैं। किसी का मेडिकल कटवाने तो किसी को दवा दिलाने में मदद कर सुविधा शुल्क वसूलते हैं। जबकि, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर चैंबर के पास लगी कुर्सी पर आराम फरमाते हैं। मगर किसी की मदद के लिए आगे नहीं आते हैं। यही हाल इमरजेंसी वार्ड में तैनात जीएनएम व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की है। खुद केबिन में बैठे रहते हैं और प्रशिक्षु एएनएम छात्र मरीजों के इलाज में लगे रहते हैं।


कहते हैं अधिकारी


डीपीएम, जिला स्वास्थ्य समिति श्याम कुमार निर्मल धारा अपने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों और जीएनएम को बचाने के लिए ये कहना है की थानाध्यक्ष द्वारा लिखित शिकायत करने पर मामले की जांच की जाएगी। दोषी पाए जाने पर स्वास्थ्यकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। दोपहर 11 बजे की दिन का यह मामला है तो रात के अंधेरे में क्या होता होगा कर्मियों से स्पष्टीकरण पूछा जाएगा।

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