लाल बहादुर शास्त्री एवं महाशय मसूरिया दिन पासी का जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।

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बिहारशरीफ:- बिहारशरीफ के पचासा चौक बाबा साहेब के प्रतिमा के समक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के तत्वाधान में लाल बहादुर शास्त्री एवं महाशय मसूरिया दिन पासी के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित करते हुए जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।

 इस मौके पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संघर्ष मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल पासवान, मंच के प्रदेश अध्यक्ष सह फुटपाथ संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष रामदेव चौधरी अखिल भारतीय रविदासिया धर्म के जिला अध्यक्ष एवं राजगीर कबीर मठ के संचालक महंत सह अध्यक्ष बलराम साहब ने संयुक्त रूप से कहा कि लाल बहादुर शास्त्री एक महान व्यक्ति थे। इनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 उत्तर प्रदेश के मुगलसराय के छोटे से गांव किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता शारदा प्रसाद स्कूल शिक्षक थे। उनके माता का हनाम रामदुलारी देवी थी। जब वह डेढ़ वर्ष के थे तो उनके पिता का देहांत होने के बाद उनके माता अपने तीन बच्चों के साथ अपने पिता के घर आ गए थे। पढ़ाई-लिखाई उनका नैनीहाल में ही हुआ था। विद्यालय जाने के क्रम में उनके पास पैसा नहीं रहने के कारण वे अपने किताब को सर में बांधकर नदी पार कर पढ़ने जाते थे। गरीबी रहने के कारण पैरों में चप्पल तक नहीं पहन पाते थे। उनकी शादी ललिता देवी के साथ हुआ था। उनके बच्चे का नाम हरिकृष्ण, अनिल, सुनील और अशोक शास्त्री, कुसुम, सुमन था। शास्त्री जी काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात शास्त्री जी का उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था।

 जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री हुए। वे 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक प्रधानमंत्री रहे (18 महीने तक)।इनका इस प्रमुख पद पर रहते अद्वितीय कार्यकाल रहा।1965 के पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिए थे। उनकी मृत्यू 11 जनवरी 1966 को रूस के तांशकंद (रूस) अब उज़्बेकिस्तान रात 1:32 बजे दिल का दौरा पड़ने से हो गया था, जो आज तक रहस्य बना हुआ है। इनको सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिए मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

 रामदेव चौधरी ने कहा कि मसूरिया दिन का जन्म प्रयागराज के जोंधवल में 2 अक्टूबर 1911 को हुआ था। वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और कांग्रेस के सदस्य भी। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए साल 1932 से 1944 के बीच कई बार जेल गए। मसूरिया दिन अंतरिम संसद और शुरुआती चार लोकसभा में सदस्य रहे। उनके निर्वाचन क्षेत्र इलाहाबाद पश्चिम सह जैनपुर पूर्व था। वह विधानसभा सदस्य भी रहे। मसूरिया दिन पासी समाज से थे, जिसे दलितों में जाटवों के बाद सबसे बड़ी संख्या और प्रभाव वाला माना जाता है। पासी समाज दलितों में राय तय करने वाला रहा है।

 इस मौके पर डॉ भीमराव अंबेडकर संघर्ष विचार मंच के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सादिक अजहर जिला महासचिव महेंद्र प्रसाद बहुजन समाज पार्टी के जिला महासचिव उमेश पंडित संख्यानुपाती भागीदारी पार्टी के प्रदेश महासचिव मुन्ना कुमार विनोद पासवान शिक्षक भगवान दास नवल दास आदि दर्जनों लोग की संख्या में उपस्थित थे।

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