सामान्य उर्दू भाषा में एक किताब की सख्त जरूरत थी ताकि आम आदमी इससे लाभान्वित हो सकेः सैयद शाह हुसामुद्दीन फिरदौसी
NALANDA:
बिहार प्रांत का नालंदा जिला जो शुरू से ज्ञान का उद्गम स्थल रहा है और साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले नालंदा ज़िले का बिहारशरीफ शहर इस शहर को बड़े-बड़े शोधकर्ता, विचारक और बुद्धिजीवी मदीनातुल औलिया और सोफिया का शहर कहते हैं।बिहारशरीफ का शहर सूफियों का शहर है। क्योंकि यहां हर सिलसिला के सूफी हैं। लेकिन इन सभी सूफियों में सुल्तानुल मुहक्केकीन हजरत मखदूमे जहां शैख शराफुद्दीन अहमद याहया मनेरी की ज़ात अहमियत का हामील है । और इन सूफियों ने लाखों लोगों को कुफ्र और शीर्क के अंधेरे से बाहर निकाला साथ ही लोगों को एक अल्लाह और उसके रसूल की तालीम दी और उन्हें सही रास्ते पर लाकर उनके दिलों को रोशन किया।
यह आवश्यक था कि इन सूफियों के जीवन और सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया जाए। ताकि लोग उनकी शिक्षाओं और सेवाओं का लाभ उठा सकें।
इस संबंध में जमील अशरफ जमाली बड़ी दरगाह व हाफिज मोहम्मद तौसीफ आलम पक्की तालाब ने हजरत मखदूम जहां के 662 उर्स ए मुबारक के मौके पर किताब तज़किरा ए सूफिया ए बिहार शरीफ का विमोचन कर मंजरे आम पर लाया। यह हरगिज नहीं कहा जा सकता कि हक अदा हो गया , लेकिन यह कहा जा सकता है कि दोनों की मेहनत काबिले तारीफ है दिनांक 22 अप्रैल दिन शनिवार को किताब तज़किरा ए सूफिया ए बिहार शरीफ को बाद नमाजे असर बिहार शरीफ के निहाल मस्जिद फातमा नगर में वलिअहद खानकाह-ऐ -मुअज़्ज़म बिहार शरीफ हज़रत अल्लामा सैयद शाह मुहम्मद हुसामुद्दीन अहमद फ़िरदौसी मिस्बाही एवं हज़रत मौलाना मोहम्मद मरगुब रज़ा मिसबाही इमाम नेहाल मस्जिद फातिमा नगर , सैयद शाह शहजाद आबिदीन कादरी तेगी सज्जादा निशिन खानकाह ए आलीया कादिरिया तेगिया, निहाल मस्जिद के अध्यक्ष मुहम्मद रुस्तम खान, सैयद मुहम्मद हसन फहमी, मुहम्मद सालेहिन खान , सय्यद मुज़्ज़मिम्ल इमाम आदि मौजुद रहे।
इस मौके पर सैयद शाह मुहम्मद हुसाम उद्दीन फिरदौसी ने कहा कि इस तरह की किताब की सख्त जरूरत थी। जो आम भाषा में हो ताकि लोगों तक वलियों की सही तालिम पहुंच सके। संपादक जमील अशरफ जमाली, मुख्य संपादक हाफिज मुहम्मद तौसीफ आलम, वलिअहद खानकाह मोअज्जम को बधाई देते हुए कहा कि ये लोग जिन्होंने बहुमूल्य सेवाएं प्रदान की हैं वे बधाई के पात्र हैं.
उसके बाद मौलाना मुहम्मद मरगुब आलम मिस्बाही ने कहा कि हालांकि यह संक्षिप्त है, शहर और उसके आसपास के बुजुर्गों का उल्लेख इस पुस्तक में मौजूद है। जो लोगों के लिए फायदेमंद है। क्योंकि धर्म के बुजुर्गों की शिक्षा सभी धर्मों और राष्ट्रों के लिए एक मिसाल है। मौलाना ने कहा कि यह किताब आम भाषा में इसलिए है ताकि लोग बड़ों की शिक्षाओं और सेवाओं को आसानी से समझ सकें और दूसरों तक पहुंचा सकें.
तत्पश्चात सैयद शहजाद आबिदीन कादरी तेगी ने कहा कि इस पुस्तक में कमोबेश बिहारशरीफ नालंदा के प्रसिद्ध सूफियों का उल्लेख किया गया है। जो एक बेहतर और सराहनीय कदम है। इसके लिए संपादक और प्रधान संपादक दोनों बधाई के पात्र हैं।