प्रकृति, आदर्श, प्रयोग व यथार्थवाद का बेजोड़ समन्वय है गांधी का शिक्षा-दर्शन : डॉ प्रभाष कुमार
बिहारशरीफ : नालंदा कॉलेज दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ प्रभाष कुमार ने कहा है कि महात्मा गांधी का शिक्षा-दर्शन प्रकृति, आदर्श, प्रयोग एवं यथार्थवाद का अद्भुत सामंजस्य और समन्वय है. उनके विचार से वास्तविक शिक्षा वह है जो मुक्ति प्रदान करें. वे " सा विद्या या विमुक्तय " में विश्वास करते थे. उनकी नजर में मुक्ति का आशय आत्म साक्षात्कार, आत्म- अनुभूति एवं सत्य और अहिंसा के गुणों से ओत-प्रोत होना है.
वे मंगलवार को नालंदा कॉलेज शिक्षाशास्त्र विभाग के तत्वावधान में आयोजित " महात्मा गांधी का शैक्षिक - दर्शन " विषय पर आयोजित विशेष व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता छात्र - छात्राओं और शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन टॉलस्टॉय के जीवन दर्शन से प्रभावित था.
अध्यक्षता करते हुए नालंदा कॉलेज शिक्षाशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी के अनुसार शिक्षा मनुष्य के सर्वांगीण विकास का साधन है. सर्वांगीण विकास से तात्पर्य है शरीर, मन और आत्मा का सर्वांगीण विकास. वास्तविक शिक्षा व्यक्ति के हाथ, हृदय और मस्तिष्क में सामंजस्य उत्पन्न करती है. डॉ ध्रुव ने कहा कि गांधी जी के अनुसार शिल्प केंद्रित शिक्षा और मातृभाषा में दी गई शिक्षा ही बालक को सर्वांगीण विकास कर सकती है.
सहायक प्राध्यापक डॉ रंजन कुमार ने कहा कि विश्व में शांति और सद्भाव के लिए आज भी महात्मा गांधी के विचार प्रासंगिक हैं I
इस अवसर पर डॉ उषा कुमारी, अपर्णा कुमारी, डॉ कृति स्वराज, डॉ संगीता कुमारी, प्रशान्त दिलीप कुमार पटेल तथा प्रथम वर्ष की सम्मी कुमारी और रौशन कुमार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए I संचालन द्वितीय वर्ष की मधुलता और नमित राज के किया.
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रथम और द्वितीय वर्ष के बीएड प्रशिक्षुओं ने शिरकत की.