इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने बिहार हिंसा पर की तीखी प्रतिक्रिया.....

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इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा है कि भारत में रामनवमी की शोभायात्रा के दौरान मुसलमानों को निशाना बनाया जाना चिंताजनक है.





ओआईसी ने अपने बयान में कहा है कि भारत के कई राज्यों में मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा हुई है और अतिवादी हिन्दुओं की भीड़ ने मदरसों के अलावा लाइब्रेरी को आग के हवाले कर दिया. ओआईसी ने बिहार के बिहारशरीफ़ में हुई हिंसा का हवाला दिया है.



ओआईसी ने कहा, ''ओआईसी महासचिव इन उकसाने वाली हिंसक घटनाओं की निंदा करते हैं. ये हिंसक घटानाएं बढ़ते इस्लामोफ़ोबिया के ज्वलंत उदाहरण हैं. भारत में मुसलमानों को व्यवस्थित रूप से निशाने पर लिया जा रहा है. ओआईसी भारत से इस हिंसा में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की मांग करता है. भारत मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और उनके अधिकार के साथ मर्यादा की रक्षा करे.''


यह कोई पहली बार नहीं है जब ओआईसी ने भारत में मुसलमानों को लेकर आवाज़ उठाई है. ओआईसी कश्मीर के मामले में भी भारत पर सवाल उठाता रहता है.


ओआईसी ने इससे पहले हरिद्वार में धर्म संसद, कर्नाटक में हिजाब विवाद और मुसलमानों के ख़िलाफ़ कथित नफ़रत को लेकर चिंता जताते हुए भी बयान जारी किया था. नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर भी ओआईसी ने भारत पर सवाल उठाया था.


भारत हर बार ओआईसी के बयानों को ख़ारिज करता रहा है. ओआईसी के पहले के बयानों पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है और ओआईसी को इसका कोई अधिकार नहीं है.


ओआईसी इस्लामिक या मुस्लिम बहुल देशों का संगठन है. इसके कुल 57 देश सदस्य हैं. ओआईसी में सऊदी अरब का दबदबा है, लेकिन सऊदी अरब दुनिया के उन टॉप 10 देशों में भी शामिल नहीं है, जहाँ मुस्लिम आबादी सबसे ज़्यादा है. हालांकि इस्लाम के लिहाज से मक्का और मदीना के कारण सऊदी अरब काफ़ी अहम है.


भारत मुस्लिम आबादी के लिहाज से शीर्ष तीन देशों में होने के बावजूद ओआईसी का सदस्य नहीं है.



ओआईसी ने जब कर्नाटक में हिजाब विवाद पर बयान जारी कर चिंता जताई थी तो भारत ने जवाब में कहा था, ''हमने भारत से संबंधित मामलों पर ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) के महासचिव की ओर से एक और प्रेरित और भ्रामक बयान देखा है. भारत में अलग-अलग मुद्दों को संवैधानिक ढांचे और नियम के आधार पर देखा जाता है. ओआईसी पर निहित स्वार्थ समूहों का क़ब्ज़ा बना हुआ है जो भारत के ख़िलाफ़ अपने नापाक दुष्प्रचार को जारी रखे हुए हैं और इस वजह से ओआईसी ने सिर्फ़ अपनी ही प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है.''

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