संविधान की वो बातें जो हर भारतीय को पता होनी चाहिए..

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संविधान दिवस

आज पूरा देश संविधान दिवस मना रहा है. आज के दिन संविधान सभा ने इसको पारित किया था. भारत सरकार ने आज के दिन सभी नागरिकों को संविधान की प्रस्तावना पढ़ने को कहा है ताकि हर भारतीय इसे समझ सके. आइए जानते हैं हमारे संविधान की ऐसी बातें जो हर भारतीय को जरूर जाननी चाहिए. साथ ही जानिए अपने मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्वों के बारे में भी संविधान बनाने के लिए संविधान सभा बनाई गई. डॉ. राजेंद्र प्रसाद इसके स्थाई अध्यक्ष थे. संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठकें की.

भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा संविधान है. इसमें 465 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां हैं. ये 22 भागों में विभाजित है। संविधान में साफ लिखा है कि देश का कोई आधिकारिक धर्म नहीं होगा. यह किसी धर्म को बढ़ावा नहीं देता न किसी से भेदभाव करता है. जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर हो रहे थे उस दिन बाहर बारिश हो रही थी. सदन में बैठे सदस्यों ने इसे बहुत ही शुभ शगुन माना था.

भारतीय संविधान की वास्तविक प्रति प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा हाथों से लिखी गई थी. इसे इटैलिक स्टाइल में काफी खूबसूरती से लिखा गया था जबकि हर पन्ने को शांतिनिकेतन के कलाकारों ने सजाया था.

हाथों से लिखे संविधान पर 284 संसद सदस्यों ने हस्ताक्षर किया था. इसमें 15 महिला सदस्य थीं.संविधान की आत्मा कहे जाने वाले Preamble यानी प्रस्तावना को अमेरिकी संविधान से लिया गया है. संविधान में प्रस्तावना की शुरुआत 'We the people' से होती है.

भारतीय संविधान में अब तक 124 बार संशोधन हुआ है.  

26 जनवरी 1950 को ही अशोक चक्र को बतौर राष्ट्रीय चिन्ह स्वीकार किया था.आज के दिन यानी 26 नवंबर को पहले कानून दिवस के तौर पर मनाया जाता रहा. और इसके पीछे की कहानी यह है कि 1930 में कांग्रेस लाहौर सम्मेलन में पूर्ण स्वराज की प्रतिज्ञा को पास किया गया था, इसी घटना की याद में कानून दिवस मनाया जाता रहा. अब ज़रा संविधान दिवस के इतिहास को भी जानते हैं.

देश के संविधान के बारे में नागरिकों के बीच जागरूकता फैलाने और संवैधानिक मूल्यों का प्रचार करने के लिए संविधान दिवस मनाने का फैसला किया गया था. इस दिन भारत ने अपने संविधान को अडॉप्ट किया था इसलिए सामाजिक न्याय मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को यह फैसला लिया था कि 26 नवंबर को भारत सरकार संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने की परंपरा शुरू करेगी. 

संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती

वास्तव में, 2015 इसलिए खास वर्ष था क्योंकि उस साल संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई जा रही थी. आंबेडकर जयंती को बड़े पैमाने पर यादगार ढंग से मनाने के लिए भारत सरकार ने साल भर के कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की थी और इसी सिलसिले में 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह ऐलान किया था कि संविधान दिवस सालाना मनाया जाएगा.अब सवाल यह उठता है कि 26 नवंबर 1949 को संविधान अपनाया गया तो दो महीने बाद 26 जनवरी को लागू क्यों हुआ? इन दो महीनों का वक्त क्यों लिया गया? बताया जाता है कि इन दो महीनों के दौरान संविधान का पाठ किया गया और इसे अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद किया गया था. संविधान को पूरी तरह अपनाए जाने से पहले संविधान सभा ने दो साल 11 महीने और 18 दिन के समय में 166 बार मुलाकात की थी.भारत का संविधान भारत को संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, लोकतांत्रिक गणतंत्र घोषित करता है और अपने नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी देता है.


संविधान बनाने वालों में प्रमुख रहे डॉ. आंबेडकर ने राज्य सभा में 2 सितंबर 1953 को उस बहस के दौरान यादगार शब्द कहे थे, जब देश के गवर्नर की शक्तियों को लेकर वो खुद संविधान में संशोधन के पक्षधर थे. उन शब्दों को याद कीजिए 


"लोग कहते हैं कि मैंने संविधान बनाया है, लेकिन मैं पहला व्यक्ति होउंगा जो इसे जलाने को तैयार होगा. मुझे लगता है कि यह हर व्यक्ति के लिए अनुकूल नहीं है. लेकिन, जो भी है अगर लोग इसे अपनाए रखना चाहें तो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि बहुमत के साथ अल्पसंख्यक भी होते हैं और आप यह कहकर अल्पसंख्यकों की आवाज़ नहीं दबा सकते कि 'आपकी आवाज़ को तवज्जो देने से लोकतंत्र को नुकसान होता है'. मुझे कहना है कि अल्पसंख्यकों को नुकसान पहुंचाने से सबसे बड़ा नुकसान होता है."

                        



  ✍️ मो० हमजा अस्थानवी



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